महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय का शुरू से विवादों से नाता रहा है। पुनः विश्वविद्यालय में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अनिमितता, लूट पाट, दैनिक कार्यालय कार्य मे विलम्ब जैसे गंभीर विषयों के साथ विश्वविद्यालय फिर से सुर्खियों में बना हुआ है। इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता आलोक राज ने केन्द्रीय शिक्षा सचिव अमित खरे से इसकी शिकायत की है। उन्होंने यह बताया कि महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजीव शर्मा विश्विद्यालय को राम भरोसे छोड़कर विगत 15 सितम्बर से मोतिहारी जिला मुख्यालय से गयाब हैं। उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में किसी को भी विश्विद्यालय का प्रभार नही दिया। आलोक राज़ ने बताया कि मैंने इसकी शिकायत सम्बंधित मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय, राष्ट्रपति भवन,विश्वविद्यालय अनुदान आयोग को की है। उन्होंने अपने शिकायत पत्र में बताया है कि कुलपति की अनुपस्थिति में इधर विश्वविद्यालय की सारी गतिविधियां 15 दिनों से बंद है। महत्वपूर्ण फाइलों का अप्रूवल रुका हुआ है। बिना किसी को कुलपति का प्रभार दिए हुए कुलपति को गायब होने की सिलसिला पिछले 1 सालों से चल रही है। पहले कुलपति अपनी कुर्सी बचाने के लिए फिर सेवा विस्तार के लिए और अभी राजस्थान में कुलपति बनने के लिए मोतिहारी हेड क्वार्टर से गायब होते रहे हैं।
कुलपति संजीव शर्मा अभी दिल्ली और राजस्थान में बैठकर ऑनलाइन के माध्यम से फर्जी व्याख्यान कराने में जुटे हुए हैं तथा दूसरी तरफ इनके लुटेरे गुर्गे ओएसडी राजीव कुमार, सेक्शन ऑफिसर दिनेश हुड्डा, फाइनेंस ऑफिसर विकास पारिख, IQAC के चेयरमैन प्रणवीर सिंह लुटेरे व रिश्वतखोर कुलपति के इशारे पर विश्वविद्यालय में जमकर लूटपाट कर रहे हैं। जबकि आम शिक्षकों की कुलपति की गैरमौजूदगी में तमाम तरह की फाइलें अप्रूवल के लिए अटकी पड़ी है। कुलपति संजीव शर्मा केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान का कुलपति पद हासिल करने के लिए नेताओं की दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं तथा साथ हीं कुलपति का ये भी कहना है कि माननीय सचिव अमित खरे जी की सेवानिवृत्ति 30 सितंबर को होने जा रहे हैं उसके बाद मुझे कोई कुलपति बनने से नहीं रोक सकता है। क्योंकि मेरे कुलपति बनने में रोड़ा सिर्फ अमित खरे हैं।
सचिव महोदय से आलोक राज ने निवेदन किया कि अपने अंतिम 3 दिन के कार्यकाल में इस भ्रष्टाचारी कुलपति की बंद पड़ी फाइलों पर नियमानुसार कार्रवाई करें जिससे की रिश्वतखोर कुलपति को सजा मिल सके। तथा अति शीघ्र किसी योग्य, निर्विवाद व्यक्ति को विश्वविद्यालय का कुलपति का पदभार दिया जाए जिससे कि विश्वविद्यालय सुचारू रूप से चल सके।