मोतिहारी। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) के सहयोग से दस दिवसीय शोध प्रविधि पाठ्यक्रम (आरएमसी) का उद्घाटन राजकुमार शुक्ल सभागार सोमवार को हुआ। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण करके एवं दीप प्रज्वलित कर हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केएन सिंह, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव एवं मुख्य वक्ता गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के संकायाध्यक्ष प्रो मनीष मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी आशुतोष आनंद ने किया।मुख्य अतिथि दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के एन सिंह ने कार्यशाला में शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि सोशल साइंस की प्रयोगशाला हमारा समाज है। विश्वविद्यालय से बाहर निकलते ही हम अपने क्षेत्र में होते हैं।भारत की ज्ञान परंपरा वैदिक काल से ही समृद्ध रही है। भारत का अस्तित्व किसी वास्को डी गामा और कोलंबस से हजारों साल पहले का है। पश्चिम की अवधारणा ने भारत की ज्ञान परंपरा को हमेशा दोयम दर्जे का साबित करने का प्रयास किया। SAD (सिग्मंड फ्रायड, एडम स्मिथ और डार्विन) के अलावा भी भारतीय मीमांसा और ज्ञान दर्शन हैं उन्हे आत्मसात कर आगे बढ़ना है। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री जी ने पंच प्रण की बात कही थी, यह समाज विज्ञान का विषय है। इस दिशा में शोधकार्य किया जाना चाहिए जिससे हम समाज विज्ञानी भारत की प्रगति में सहयोग कर सकें। विविधता हमारी ताकत है। NRF भारत में शोध को नए सोपान पर लेकर जायेगा।
स्वस्ति वाचन एवं सरस्वती वंदना संस्कृत विभाग के स्नातकोत्तर के छात्र शशिरंजन तिवारी ने किया।स्वागत उद्बोधन करते हुए सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो सुनील महावर ने देशभर के शोधार्थियों का गांधी की धरती पर स्वागत पर स्वागत किया। शोध के दिशा निर्देश के लिए यह कार्यशाला आयोजित हो रही है। हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव जी की प्रेरणा से यह कार्यक्रम हो रहा है। कोर्स निदेशक डॉ नरेंद्र आर्या ने कोर्स के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्कशॉप में देशभर से 195 आवेदन आए। देश के 31 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से आवेदन आए। इसमें से हमने 30 लोगों को चिन्हित कर इस दस दिवसीय कोर्स में आमंत्रित किया।मुख्य वक्ता गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध के संकायाध्यक्ष प्रो मनीष ने कहा कि केंद्र सरकार शोध को बढ़ावा देने में तत्पर है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने की स्थिति में हमें शोध को समाजोपयोगी बनाना होगा। शिक्षा नीति के लागू होने से भारत की दिशा बेहतर होगी। इस शोध प्रविधि कोर्स से शोधार्थियों को शोध विभिन्न आयामों पर समझ बढ़ेगी। देश में राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने के लिए भारत की मूल भावना को समझना आवश्यक है। हमारा देश परमाणु संपन्न होने के बावजूद भी ‘पहले प्रयोग नहीं करेंगे’ नीति का पक्षधर है। 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वां वर्ष मना रहा हो तो हम दुनिया को दिशा देने की स्थिति में हों।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो संजय श्रीवास्तव ने शोधार्थियों को भारत केंद्रित शोध करने का आह्वान किया। यह सच है कि हम आज भी पश्चिम पर निर्भर हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों भारतीय दर्शन पर काम प्रारंभ हुआ है। भारत सरकार इंडियन नॉलेज सिस्टम (IKS) के जरिए भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा दे रही है। इसमें अगर आप शोध पत्र लिखते हैं तो आपको आई के एस आपको आर्थिक सहयोग भी प्रदान करेगा। जबतक हम पश्चिम पर निर्भर रहेंगे तब तक हम विश्वगुरु नहीं हो पाएंगे। शोधार्थियों में पढ़ने की संस्कृति विकसित करनी होगी। विद्यार्थी जितना 10 वीं, 12वीं में पढ़ते थे पीएच. डी में नहीं पढ़ते। यही समय है जब हम अध्ययन कर सकते हैं। उद्घाटन सत्र का धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सरिता तिवारी ने किया। ओरिएंटेशन सेशन की अध्यक्षता प्रो. सुनील महावर, रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ. सरिता तिवारी एवं डॉ. नरेंद्र आर्या मौजूद रहे। इसका संचालन डॉ. नरेंद्र सिंह ने किया। टे – क्निकल सेशन की अध्यक्षता प्रबंधन विज्ञान की सह आचार्य डॉ. सपना सुगंधा, रिसोर्स पर्सन गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध के संकायाध्यक्ष प्रो मनीष का मार्गदर्शन शोधार्थियों को प्राप्त हुआ। इस सेशन का संचालन डॉ. अभय विक्रम सिंह ने किया।इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आर्तत्रान पाल, कुलानुशासक प्रो. प्रणवीर सिंह, मानविकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह, प्रो.पवनेश कुमार, डॉ.अंजनी श्रीवास्तव, डॉ.बिमलेश कुमार, डॉ मुकेश कुमार, डॉ.युगल किशोर दाधीच, डॉ. असलम खान, डॉ. साकेत रमण, डॉ. पंकज सिंह, डॉ.प्रेरणा भदुली समेत विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे।।