दिल्ली :- बिहार के सियासी हलके में जब ये चर्चा गर्म है कि नीतीश कुमार की मर्जी के बगैर ही आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में मंत्री बन गये हैं तो आरसीपी बाबू की सफाई आयी है. दिल्ली में आज मीडिया से बात करते हुए आरसीपी सिंह बोले-आप लोग मेरे औऱ नीतीश जी के संबंधों की चर्चा मत करिये. मेरे संबंध उनसे औऱ प्रगाढ़ हो गये हैं, आगे और ज्यादा प्रगाढ होंगे.
दरअसल आरसीपी सिंह से मीडिया ने सवाल पूछा था कि क्या मंत्री बनने से पहले उन्होंने नीतीश कुमार से सलाह नहीं ली और इससे नीतीश नाराज हैं. आरसीपी सिंह बोले “मेरे औऱ मेरे नेता नीतीश जी के बीच संबंध मधुर हैं या मधुरतम हैं इस पर चर्चा मत करिये. हम दोनों के संबंध 23 साल के हैं. जैसे भाई-भाई का, पिता-पुत्र का, गुरू-शिष्य का औऱ पति-पत्नी का संबंध होता है, वैसा ही हमारा संबंध है. हमारे संबंधों पर चर्चा करने में समय मत बर्बाद करिये
RCP सिंह बोले
मेरे मंत्री बनने से हमारे संबंध औऱ भी प्रगाढ़ हुए हैं. आगे और भी प्रगाढ़ होंगे. नीतीश जी के सानिध्य में ही तो मैं मंत्री बन गया. मैं तो मंत्री का पीएस बनकर दिल्ली आय़ा था. आज खुद मंत्री बन गया हूं. ये नीतीश जी के सानिध्य में रहकर ही तो हुआ है. इसमें विवाद तलाशने वाले तलाशते रहें, उन्हें कुछ नहीं मिलने वाला है.
नीतीश से ज्यादा नरेंद्र मोदी का गुणगान
वैसे आऱसीपी सिंह आज नीतीश कुमार से ज्यादा नरेंद्र मोदी का गुणगान करते दिखे. पत्रकारों ने सवाल पूछा कि जेडीयू के नेता कह रहे हैं कि 2019 में नीतीश कुमार ने मोदी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फैसला लिया था, 2021 में आरसीपी सिंह ने खुद फैसला ले लिया कि मंत्रिमंडल में शामिल होना है. आऱसीपी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बड़प्पन है कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में जेडीयू को शामिल किया. अकेले बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें हैं. फिर भी उन्होंने उदारता दिखा कर जेडीयू को मंत्रिमंडल में शामिल किया.
आऱसीपी सिंह से पत्रकारों ने सवाल पूछा-आपकी पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला लागू हुआ है. खुद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बने रहने के लिए पार्टी के अध्यक्ष का पद छोड़ा तो क्या आऱसीपी सिंह भी केंद्रीय मंत्री बनने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोडेंगे. आऱसीपी सिंह बोले-मैंने 40 सालों के सार्वजनिक जीवन में जो भी काम अपने हाथ में लिया उसे पूरा किया. पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना तो भी जेडीयू को घर घर तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है. अब भी ये काम करने को तैयार हूं. मैं मंत्री का काम भी मजबूती से करूंगा, संगठन का भी काम मजबूती से करूंगा. लेकिन अगर पार्टी चाहेगी तो किसी मजबूत साथी को राष्ट्रीय अध्यक्ष का दायित्व देने को तैयार हूं.