मोतिहारी : शहर के सदर अस्पताल में सुबह 8 बजे से ही मरीजों की भीड़ उमड़ चुकी थी। अस्पताल खुल चुका था, लेकिन डॉक्टरों का अभी तक कोई अता-पता नहीं था। कुछ विभागों में चिकित्सक उपस्थित थे, मगर अधिकांश मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। टुडे बिहार न्यूज की टीम अस्पताल में पहुंची तो देखा कि मरीज परेशान है लेकिन अस्पताल के डॉक्टर साहब ही गायब है।
सुबह 9:20 बजे : मरीजों की भीड़, डॉक्टरों का इंतजार
हमारी टीम जब 9:20 बजे अस्पताल पहुंची, तो रजिस्ट्रेशन काउंटर चालू था, जहां चार कर्मचारी मौजूद थे और मरीजों को टोकन दिए जा रहे थे। लेकिन दवा वितरण काउंटर की स्थिति चिंताजनक थी—सुबह 9:28 बजे तक वहां एक भी कर्मी मौजूद नहीं था।
सुबह 9:25 बजे : हड्डी रोग विभाग में डॉक्टर नहीं
हड्डी रोग विभाग (रूम नंबर-9) में सुबह 9:25 बजे तक कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। यहां दो मरीज इंतजार कर रहे थे, जिनमें से एक पकड़ीदयाल अनुमंडलीय अस्पताल से रेफर होकर आया था।
सुबह 9:29 बजे : गैर संचारी रोग विभाग भी खाली
गैर संचारी रोग विभाग में सुबह 9:29 बजे तक कोई डॉक्टर नहीं था, हालांकि गेट खुल चुका था। मरीज अंदर इंतजार कर रहे थे, लेकिन इलाज करने वाला कोई नहीं था।
सुबह 9:40 बजे : सामान्य दवा विभाग में भी लापरवाही
सामान्य दवा विभाग (रूम नंबर-1) में सुबह 9:40 बजे तक कोई डॉक्टर नहीं था। मरीजों में नाराजगी थी। एक बुजुर्ग ने कहा,
“एक घंटा से बइठल बानी, डॉक्टर साहब नईखन, इलाज कैसे होई?”
जानकारी लेने पर पता चला कि डॉक्टर रोजाना देर से आते हैं। जानकारी के अनुसार यहां डॉक्टर चंद्र सुभाष बोस की ड्यूटी है जो प्रत्येक दिन 10 बजे के बाद ही आते हैं।
सुबह 9:44 बजे : मानसिक रोग विभाग भी खाली
मानसिक रोग विभाग (रूम नंबर-17) में सुबह 9:44 बजे तक न कोई डॉक्टर था और न ही कोई सहायक कर्मी। हालांकि, कमरे का गेट खुला था, लेकिन मरीजों को डॉक्टर के आने का इंतजार था।
सुबह 9:48 बजे : डेंटल विभाग में मरीज परेशान
डेंटल विभाग (रूम नंबर-10) में सुबह 9:48 बजे तक कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था।
सिसवा से आए बाबूलाल सिंह अपने दांत का इलाज कराने पहुंचे थे, लेकिन 2 घंटे से डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे। पूछताछ में पता चला कि डॉ. अनूप कुमार की यहां ड्यूटी है, लेकिन वे अभी तक नहीं आए थे। बताया गया कि चिकित्सक 10 बजे के बाद आएंगे।
सुबह 9:51 बजे : चर्म रोग विभाग में डॉक्टर नहीं
चर्म रोग विभाग (रूम नंबर-6) में सुबह 9:51 बजे तक कोई डॉक्टर नहीं था। जानकारी लेने पर पता चला कि सप्ताह में केवल 3 दिन ही त्वचा रोग विशेषज्ञ उपलब्ध होते हैं।
सुबह 9:55 बजे : जनरल मेडिसिन विभाग 2 में कोई डॉक्टर नहीं
जनरल मेडिसिन (रूम नंबर-2) में सुबह 9:55 बजे तक कोई चिकित्सक कार्यरत नहीं था। जानकारी मिली कि यहां फिलहाल किसी डॉक्टर की ड्यूटी नहीं लगाई गई है।
मरीजों के लिए राहत : इन विभागों में डॉक्टर मौजूद
जब हमारी टीम अस्पताल में सुबह 9:55 बजे तक मौजूद रही, तो कुछ विभागों में डॉक्टर कार्यरत मिले।
1. आंख विभाग (रूम नंबर-5) में डॉ. नवीन कुमार मरीजों का इलाज कर रहे थे।
2. फिजियोथैरेपी विभाग में एक चिकित्सक व दो कर्मी मौजूद थे, वहां मरीज नहीं थे।
3. एक महिला चिकित्सक भी अपने चेंबर में उपस्थित थीं और मरीजों को देख रही थीं।
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सुबह 10:00 बजे : सिविल सर्जन भी नदारद
जब हमने सिविल सर्जन से संपर्क करने की कोशिश की, तो पता चला कि वे भी अस्पताल में मौजूद नहीं थे।
फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा,
“अभी बाहर हूं, एक-डेढ़ घंटे में आऊंगा। वहां अन्य अधिकारी मौजूद होंगे।”
सुबह 10:15 बजे : प्रशासन की प्रतिक्रिया
हमने प्रभारी डीएस डॉ. पंकज कुमार से सवाल किया, तो उन्होंने कहा,
“मामले को संज्ञान में लेकर अनुपस्थित चिकित्सकों से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। यदि स्पष्ट जवाब नहीं मिला, तो कार्रवाई की जाएगी।”
निष्कर्ष : सरकारी अस्पतालों की लापरवाही मरीजों पर भारी
मोतिहारी सदर अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति मरीजों के लिए गंभीर समस्या बन चुकी है। कई विभागों में चिकित्सक देर से आते हैं या फिर उपलब्ध ही नहीं होते।
क्या हो सकता है समाधान?
1. डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित हो – OPD का समय सुबह 9 बजे से है, तो डॉक्टरों को उसी समय उपस्थित रहना चाहिए।
2. निगरानी बढ़ाई जाए – अस्पताल में CCTV कैमरे लगाए जाएं और बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लागू किया जाए।
3. शिकायत व्यवस्था हो – मरीजों के लिए हेल्पलाइन नंबर और व्हाट्सएप शिकायत सुविधा दी जाए, ताकि वे सीधे प्रशासन तक अपनी समस्या पहुंचा सकें।
4. अनुपस्थित डॉक्टरों पर कार्रवाई हो – जो चिकित्सक समय पर नहीं आते, उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।
सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए प्रशासन को तत्काल सख्त कदम उठाने होंगे, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके और उनकी परेशानियों का समाधान हो सके।