पटना। महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी की बदहाल स्थिति कोई छुपी हुई बात नहीं है। कुलपति चाहें जो भी रहें हो विश्वविद्यालय के प्रगति को लेकर गंभीरता और संवेदनशीलता उनमे कभी भी देखने को नही मिली सिर्फ लुटाई और भ्रष्टाचार हीं देखने और सुनने को मिला है। चंपारण के आमजनों के संघर्षों से हासिल इस विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य यह है कि जब भी नए कुलपति के आगमन की आहट होती है तो एक संभावना जगती है, कि कोई राष्ट्रनिष्ठ व्यक्ति आएगा और और विश्वविद्यालय की मजबूत नीव रखेगा। जाति पाती , क्षेत्रवाद से परे एक मानव निर्माण की बस्ती बसाएगा। अब तक का दुर्भाग्य रहा कि सरकार के द्वारा भेजे गए अब तक के दोनों कुलपति अरविंद अग्रवाल एवं संजीव शर्मा ने विश्वविद्यालय में वही किया जो उनके व्यक्तिगत एजेंडे में फिट बैठा। विश्वविद्यालय में नए कुलपति हेतु केन्द्र सरकार द्वारा गठित कुलपति चयन समिति द्वारा साक्षात्कार लिया जा चुका है। कुछ ही दिनों में नए कुलपति की घोषणा हो जाएगी।
बिहार फिर से एक बार आशा भरी टकटकी निगाहों से एक राष्ट्रनिष्ठ कुलपति की राह देख रहा है.. जो विश्विद्यालय में पठन पाठन का मूल्य भर सके। छात्र – शिक्षक के कार्यों का अंतिम ध्येय राष्ट्र निर्माण में दे सके। विश्वविद्यालय में वास्तविक शिक्षकों को ला सके। अपने मनोयोग से छात्र कल्याण हेतु कार्य कर सके। सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए एक नाम ऐसा चल रहा है जिसकी शिक्षा प्रणाली ऐसी रही है जो राष्ट्र को शर्मिंदा करती है। जिसने सदैव हमारे मातृभूमि के लिए शीश कटाने वाले हमारे सैनिकों की भर्त्सना की है। उन्हें नीचा दिखाया है।
यह कुलपति पद का दावेदार कोई और नहीं बल्कि बनारस हिंदू विश्विद्यालय के राजनीतिक शास्त्र के प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह उर्फ टीपी सिंह हैं जिन्हें जानने वाले प्रत्येक व्यक्ति को पता है कि उनकी पृष्ठभूमि वामपंथी है। 2014 से पहले इसे वे छिपाते भी नहीं थे लेकिन केंद्र में भाजपा की सरकार बनते हीं वे राष्ट्रवादी बन गए। उन्होंने दंतेवाड़ा एवं बस्तर के नक्सलवाद जो उनका प्रिय विषय है पर एक प्रोजेक्ट किया है जो यूपीए सरकार के समय यूजीसी द्वारा वित्त पोषित है। उन्होंने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों की कार्रवाई को नक्सलवाद में वृद्धि का कारण बताया है । खबर है कि प्रोफेसर संजीव शर्मा कुलपति के लिये प्रो टीपी सिंह का समर्थन कर रहे हैं कि उनके जाने के बाद टीपी सिंह उनके भ्रष्ट कृतियों को छिपाने में मदद करेंगे तथा उनके ऊपर चल रहे अनेकों तरह के भ्रष्टाचार संबंधित जांच को या तो दबाएंगे या दिग्भ्रमित करेंगे। अब देखना ये है कि चंपारण की जनता फिर ठगी जायेगी या कोई राष्ट्रनिर्माण की भावनावाले उच्च अकादमिक योग्यता वाले किसी प्रोफेसर को विश्विद्यालय का बागडोर दिया जायेगा।