नई दिल्ली। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने मंगलवार को चिराग पासवान को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया। उनकी जगह सूरजभान को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
इससे पहले चिराग को उनके चाचा पशुपति पारस ने संसदीय दल के अध्यक्ष पद से बेदखल कर खुद इस पद पर काबिज हो गए हैं। पारस को लोजपा सांसदों का समर्थन हासिल है।
चिराग पासवान अपने पिता स्व. रामविलास पासवान की विरासत के उत्तराधिकारी के तौर पर माने जा रहे थे। उनके पास संसदीय दल और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद था। उनको हटाकर अब पार्टी ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके साथ ही सूरजभान को नए अध्यक्ष का चुनाव संपन्न कराने के लिए निर्वाचन अधिकारी का दायित्व भी सौंपा गया है। सूरजभान से कहा गया है कि वह पांच दिन के भीतर कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर नए अध्यक्ष का चुनाव कराएं।
इससे पहले सोमवार को पशुपति कुमार पारस को पार्टी का लोकसभा में नेता चुना गया। पार्टी के लोकसभा में 6 सांसद हैं।
पार्टी के नेता चिराग पासवान की बिहार विधानसभा चुनाव में अपनाई गई रणनीति को लेकर खफा माने जा रहे हैं। साथ ही केंद्र सरकार में मंत्रिमंडल के विस्तार की भी सुगबुगाहट है। इन दोनों के मिले-जुले प्रभाव के तौर पर वर्तमान घटनाक्रम को देखा जा रहा है।
लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक मंगलवार को संसदीय दल के नेता पशुपति कुमार पारस के आवास पर हुई। बैठक में सर्वसम्मति से चिराग पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाकर सूरजभान सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 17 को पटना में लोजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो सकती है जिसमें नए अध्यक्ष का चयन होगा।
चिराग पासवान गत सोमवार को हुए घटनाक्रम को लेकर दिल्ली में अपने चाचा पशुपति पारस के घर भी पहुंचे थे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने एक प्रस्ताव रखने की कोशिश की थी। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की पेशकश के साथ ही उनकी मां रीना पासवान को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग शामिल थी।
पूरे घटनाक्रम से आहत चिराग ने मंगलवार को अपना पक्ष रखने के लिए अपने चाचा पशुपति पारस को खुला पत्र लिखा। पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि चाचा को परिवार में बड़े होने के नाते पार्टी और परिवार को एकजुट रखने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। इसमें उन्होंने दुख जताया कि उनके चाचा ने पिता के रहने और उनके जाने के बाद कई बार पार्टी तोड़ने की कोशिश की है। इसके बावजूद वह उन्हें पिता समान मानते हुए उनका सानिध्य तलाशते रहे हैं।
चिराग ने अपने चाचा की पार्टी गतिविधियों को लेकर उदासिनता, पिता की तेरहवीं पर होने वाले खर्च और चचेरे भाई प्रिंस पर महिला कार्यकर्ता द्वारा लगाए गए यौन शोषण के आरोपों का भी पत्र में जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि वह हमेशा से पार्टी को एकजुट रखना चाहते थे लेकिन आज उनके चाचा-चाची ने उन्हें छोड़ दिया है।
इसी बीच पार्टी के प्रधान सचिव अब्दुल खालिक की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति ने पार्टी के पांच सांसदों को प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। अब चिराग पासवान ही आगामी चुनावों को लेकर सभी निर्णय लेंगे।