अमरदीप नारायण प्रसाद
समस्तीपुर: कोरोना का पिक शुरू हुआ तो एक ओर ऑक्सीजन के सौदागर सांसों की बोली लगाने लगे, वहीं शहर के कुछ युवाओं ने गैराज व वर्कशॉप में पड़े ऑक्सीजन सिलेंडर से जिंदगी बचाने की जद्दोजहद शुरू कर दी। शहर के एक दो युवा द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा शुरू किए गए कार्य में एक के बाद एक युवा जुटते चले गए। अभी शहर में चार अलग-अलग युवाओं की टोली ने ऑक्सीजन बैंक बना रखी है। सबो ने अपना मोबाइल नंबर फेसबुक पर डाल रखा है। सब एक कॉल पर युवा दिन-रात जरुरत मंदों के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचा रहे हैं। युवाओं की मेहनत की बदौलत कोरोना से घरों के अंदर जंग लड़ रहे 500 से अधिक जिंदगी बच गई। युवाओं ने कहा कि शुरू में गैस रिफलिंग के लिए पैसा लिए जा रहे थे लेकिन जब उन्हें यह जानकारी मिल गई कि सभी जरूरत मंदों के बीच मुफ्त में सिलेंडर देते हैं तो उन्होंने रिफलिंग का चार्ज लेना बंद कर दिया।
धरमपुर के फैसल ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्ल्त की खबर के बाद अपने छह-सात दोस्तों के साथ बंद पड़े हॉस्पिटल होली फैमली व जीवन अस्पताल से पुराना ऑक्सीजन सिलेंडर लिया। इसकी रिफलिंग करा कर फेसबुक पर अपना नंबर जारी किया। फैसल बताते हैं कि मित्रों के बंद पड़े गैराज जहां बेलडिंग का कार्य होता था वहां से सिलेंडर इकठ्ठा कर लिया। अभी छोटा-बड़ा 16 सिलेंडर है।
रोसड़ा के सिकंदर आलम पेशा से समाजसेवी है। इनके पास मात्र एक छोटा वाला सिलेंडर है। उन्होंने फेसबुक पर लिखा अगर किसी को ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत है तो संपर्क करें। फोन आना शुरू हुआ।सिकंदर बताते हैं कि उन्होंने लोगों से पैसे की डिमांड नहीं कि कहा आज जरूरत है भरा सिलेंडर ले जाय। उन्होंने कहा कि दर्जनों ऐसे लोग सिलेंडर ले गए और ठीक होकर लौटाया।
धरमपुर के एहसानुल हक़ चुनने पेशा से समाजसेवी,उन्होंने एक गैराज से ऑक्सीजन सिलेंडर से लोहा काटने का काम होता था। उनके यहां सात बड़ा जंबो सिलेंडर था। लेकिन सिलेंडर में रेगुलेटर नहीं था ताे एक मित्र के माध्यम से दिल्ली से 10 रेगुलेटर मंगवाया। लोगों को ऑक्सीजन के लिए दम तोड़ता देख उन्होंने फेसबुक पर अपना नंबर वायरल किया। उन्होंने अब तक 65 घरों में सिलेंडर पहुंचाया।