टी बी एन, सेन्ट्रल डेस्क: जाने माने अभिनेता सत्यकाम आनंद को 10वें दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल-2020 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिलना सभी बिहारवासियों के लिए गौरव की बात है। यह पुरस्कार उन्हें लघु फिल्म ‘कमांड एंड आई शैल ओबे’ के लिए मिला है। इस फिल्म का निर्देशन नीरू खेरा ने किया है।
बिहार के आरा जैसे छोटे शहर से निकल कर सत्यकाम आनंद ने
बॉलीवुड में अपनी पहचान कायम की। ‘गैंग ऑफ वासेपुर’ में नवाजुद्दीन सिद्दिकी और मनोज वाजपेयी के साथ विधायक जे पी सिंह के रूप में सत्यकाम आनंद के दमदार किरदार को भला कौन भूल सकता है। ‘बेटा तुमसे ना हो पायेगा…’ यह मशहूर डायलॉग आज भी हर किसी की जुबान पर रहता है।
फिलहाल उनकी आधा दर्जन फिल्में निर्माणाधीन हैंं जिनमेंं निर्माता निर्देशक महेश भट्ट की फिल्म ‘मार्कशीट’ भी शामिल है।
आम फिल्मी इमेज से हटकर कुछ और भी खास बातें हैं जो उनकी शख्सियत को अलग आयाम देती हैं। सत्यकाम दरअसल जमीन से जुड़े हुए कलाकार हैं। कामयाबी की ऊँचाई पर पहुँचने के बाद भी बेहद सरल और विनम्र।
उनके नेतृत्व में AMBA (अश्लीलता मुक्त भोजपुरी एसोसिएशन) के माध्यम से भोजपुरी फिल्मों और गीतों से अश्लीलता को दूर करने की दिशा में सार्थक प्रयास किया जा रहा है वहीं BIMBO (ब्यूटीफुल इमेजेज ऑफ मैग्नीफिसेंट भोजपुरी ओसियन) के जरिये बिहार की नई प्रतिभाओं को निखारने, प्रोत्साहित करने और उन्हें अवसर प्रदान करने का भी कार्य चल रहा है। आज कई शहरों में युवा कलाकार उनके साथ सिनेमा की खेती करने में जुटे हैं। बिहारवासियों के मान सम्मान की रक्षा करने और बिहार की भाषा संस्कृति को समृद्ध बनाने की दिशा में भी उनका मजबूत स्टैंड दिखाई देता है। उनका यह जज्बा युवाओं में नया जोश भरता है।
उनके अंदर थियेटर और सिनेमा को लेकर जितनी छटपटाहट है उतनी ही छटपटाहट सामाजिक बदलाव के लिए भी दिखाई देती है। यही बात उन्हें सबों से अलग भी करती है और सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के साथ सीधे जोड़ती भी है। आज केवल फिल्मों को ही नहीं बल्कि देश और समाज को भी ऐसे नायकों की आवश्यकता है।