जगदीशपुर (भोजपुर)। शुक्रवार 23 अप्रैल को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक रहे वीर बांकुड़ा बाबू कुंवर सिंह के 163वें विजयोत्सव दिवस की चमक कोरोना संकट के कारण फीका रहा। यह तीसरा मौका है, जब ऐतिहासिक कुँवर सिंह विजयोत्सव पर किला परिसर में सन्नाटा रहा। वरना विजयोत्सव के मौके पर कार्यक्रमों की धूम मची रहती है। लेकिन, कोरोना की वजह से विजयोत्सव का यादगार जश्न नहीं मन पा रहा है। कल अहले सुबह 7:30 बजे विजयोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
आयोजित कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंसिंग के बीच भोजपुर, जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा ने वीर योद्धा के किला पर ध्वजारोहण व राष्ट्रगान के पश्चात कुंवर सिंह का आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी शौर्य व पराक्रम की गाथा को याद कर नमन किया। तत्पश्चात कुंवर सिंह का स्मृति में बने संग्रहालय का जिलाधिकारी ने अवलोकन किया। इस दौरान बारीकी से उन्होंने संग्रहालय में रखे कुंवर सिंह के यादों से अवगत हुए। इसके पहले संग्रहालय में जिलाधिकारी ने मंगलदीप प्रज्वलन किया। मौके पर एसडीएम सीमा कुमारी, एसडीपीओ श्याम किशोर रंजन, बीडीओ राजेश कुमार, अंचलाधिकारी जयराम प्रसाद सिंह, नपं कार्यपालक पदाधिकारी विनय कुमार व नगर अभियंता सह मजिस्ट्रेट रोशन कुमार पांडे विजयोत्सव पर कुंवर सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर याद किया। इसके बाद प्रशासनिक विजयोत्सव कार्यक्रम का समापन हो गया।
बाबू कुंवर सिंह की शौर्य को नेताओं ने किया याद
जगदीशपुर: वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव पर ऐतिहासिक किला परिसर पहुंचकर स्थानीय विधायक राम विशुन सिंह लोहिया, एनडीए प्रत्याशी रही सुषुमलता कुशवाहा, जदयू प्रखंड अध्यक्ष मनजी चौधरी, राजद प्रखंड अध्यक्ष भोला खान, विधायक प्रतिनिधि अजय यादव सहित कई नेताओं ने वीर कुंवर सिंह प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको नमन किया। वही, समाजसेवी अमन इंडियन ने भी कुंवर सिंह के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर याद किया। इधर, नगर स्थित विशेनटोला में पूर्व भाजपा नगर अध्यक्ष अखिलेश सिंह पुतुल के नेतृत्व में वीर कुंवर सिंह का विजयोत्सव मनाया गया। इस मौके पर सतीश सिंह, रंजन सिंह, रोहित सिंह, राहुल सिंह, पंकज सिंह, मुकेश सिंह, बबलू सिंह, अभिमन्यु सिंह सहित कई मौजूद रहे। इस तरह से पूरे दिन लोगों द्वारा वीर योद्धा को नमन करने का सिलसिला चलता रहा।
विश्व ने माना था वीर कुंवर सिंह का लोहा
अस्सी साल में अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने वाले वीर कुंवर सिंह के पराक्रम का पूरे विश्व ने लोहा मान लिया था। उनकी बहादुरी से प्रभावित होकर एक ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘उस बूढ़े राजपूत ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ अद्भुत वीरता और आन-बान के साथ लड़ाई लड़ी। यह गनीमत थी कि युद्ध के समय कुंवर सिंह की उम्र अस्सी के करीब थी। अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता।
कुंवर सिंह की वीरता प्रेरणास्रोत: सांतोष यादव
जगदीशपुर। नगर पंचायत, जगदीशपुर प्रभारी मुख्य पार्षद संतोष कुमार यादव ने विजयोत्सव पर वीर कुंवर सिंह के याद करते हुए कहा कि वीर कुंवर सिंह देश के सच्चे सपूत थे। उन्होंने देश की रक्षा व उसका मान-सम्मान बनाये रखने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया। अंग्रेजों ने उन्हें घेरने की लाख कोशिशें की लेकिन वे उनके हाथ नहीं आ सके। जरूरत पड़ी तो अपने जख्मी हाथ को काटकर गंगा में डाल दी। इस तरह से उनकी वीरता आज प्रेरणास्रोत है।
रिपोर्ट सूरज कुमार राठी