पटना। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति की नियुक्ति तथा उनके द्वारा किये गए अवैध कार्यों को चुनौती देने वाली याचिका उच्च न्यायालय पटना में दर्ज कराई गई है। पटना उच्च न्यायालय में डॉक्टर संजीव शर्मा की कुलपति पद पर हुई नियुक्ति को जनहित याचिका दायर करके चुनौती दी गई है जिसकी सुनवाई तुरंत होनी है।
केश संख्या CWJC 10558/2020 की याचिका में उल्लेख किया गया है कि मेरठ विश्विद्यालय ने एमएचआरडी को गुमराह करके मंत्रालय द्वारा संजीव शर्मा की कुलपति पद पर हेतु मांगे गए विजिलेंस जांच की तथ्य को छिपाकर गलत तरीके से विजिलेंस क्लीयरेंस भेजा था। साथ हीं संजीव शर्मा पर चल रहे तमाम केस जैसे महिला उत्पीड़न और 420 के केस की भी जानकारी नहीं दी । भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय स्क्रीनिंग कमिटी, चयन समिति, चौधरी चरण सिंह विश्विद्यालय मेरठ के कुलपति और कुलसचिव तथा कुलपति संजीव शर्मा और महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय के कुलसचिव को इसमें प्रतिवादी बनाया गया है. इस याचिका में ये भी उल्लेख किया गया है कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति पदमश्री डॉ महेश शर्मा ने संजीव शर्मा की कुलपति की अवैध नियुक्ति और कुलपति द्वारा किये जा रहे अनियमितता की शिकायत विश्वविद्यालय के विजिटर यानी कि भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी की मई 2020 में भेजे थे और माननीय राष्ट्रपति महोदय ने मई महीने में हीं शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को इसपे करवाई करने का आदेश दिए थे। साथ हीं विश्विद्यालय के कार्य परिषद के सदस्यों ने भी श्री शर्मा के कार्यकाल के दौरान कई क्रियाकलापों पर आपत्ति दर्ज कराई थी तथा इसकी लिखित शिकायत माननीय शिक्षा मंत्री जी को भेजी थी मगर इन सभी शिकायतों पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोई करवाई नहीं कि गई। याचिका में संजीव शर्मा पर मेरठ मेडिकल थाने में चल रहे अन्य मुकदमे का भी जिक्र किया गया है तथा कुलपति के विश्विद्यालय ने शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार को विजिलेंस क्लेरेंस इसे नहीं दर्शाया है अतः उनकी नियुक्ति रद्द की जाए तथा उनके द्वारा महात्मा गांधी केंद्रीय विश्विद्यालय में किये गए तमाम अनियमित्तता की सीबीआई से जांच कराई जाय। डॉ आशुतोष मिश्रा ने पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्री मृत्युंजय कुमार के माध्यम से पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दर्ज कराई है जिसकी अभी सुनवाई तुरंत होनी है।