DESK: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमत से नाराज जनता को राहत देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार वैट की दर कम करने का निर्णय ले सकती है. चूंकि, विधानसभा चुनाव अगले कुछ महीनों में होने हैं इसलिए सरकार इस पर जल्द फैसला ले सकती है. इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी योगी सरकार ने वैट की दर घटा दी थी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाणिज्य कर और वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर इस पर चर्चा की है
पेट्रोल-डीजल से वर्तमान में सरकार को हर महीने 2000 करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा है. बीते कुछ महीनों में पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ने से महंगाई चरम पर पहुंच गई है. माल भाड़ा बढ़ने से सब्जी, राशन, दूध के साथ ही जरूरत की हर वस्तु के दाम बढ़ गए हैं. प्रदेश की जनता लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान है और सरकार से नाराज भी है. विपक्ष भी महंगाई को लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रहा है. आने वाले विधानसभा चुनाव में महंगाई एक बड़ा मुद्दा रहेगी.
जनता की इस नाराजगी का असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता है. ऐसे में सरकार महंगे पेट्रोल-डीजल से प्रदेशवासियों को राहत देने की तैयारी कर रही है. शासन के सूत्रों का कहना है कि पेट्रोल-डीजल को लेकर टीम 9 की बैठक में मुख्यमंत्री ने चर्चा की और संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ वैट की दर कम करने को लेकर विचार-विमर्श किया. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि पेट्रोल-डीजल पर मौजूदा वैट कितना है और उससे कितना राजस्व मिल रहा है.
करीब 5000 करोड़ रुपए राजस्व घट जाएगा
शासन के सूत्रों का कहना है कि अगर पेट्रोल-डीजल 3 से 4 रुपये सस्ता किया जाता है तो मार्च तक के राजस्व पर क्या असर आएगा. शासन के अधिकारियों ने बताया कि 3 से 4 रुपये दाम कम करने से करीब 5000 करोड़ रुपए राजस्व घट जाएगा. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कोविड-19 के चलते मेडिकल के खर्चे बढ़ गए हैं. अन्य मदों में भी राजस्व कम हुआ है. कुल मिलाकर सरकार की पहले जैसी कमाई नहीं हो रही है इसलिए फिलहाल पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने पर कोई निर्णय नहीं हो सका.
हालांकि, सरकार कोशिश कर रही है कि पेट्रोल-डीजल 5 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो जाए. योगी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 5 अक्टूबर 2018 को वैट की दर घटाकर पेट्रोल-डीजल को ढाई-ढाई रुपए प्रति लीटर सस्ता कर दिया था. पेट्रोल पर जहां वैट 26.80 से 3.02 फ़ीसदी हटाकर 23.78 फ़ीसदी किया था वहीं डीजल पर वैट 17.48 से 3.43 फ़ीसदी कम करके 14.05 फीसदी किया गया था. इससे लगभग 4000 करोड़ रुपए का राजस्व घटा था. लोकसभा चुनाव के बाद 20 अगस्त 2019 को एक बार फिर वैट बढ़ा दिया गया था.