पटना: बिहार में जारी सियासी उथल-पुथल के बीच स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर आए नीति आयोग की रिपोर्ट ने सूबे का सियासी पारा और चढ़ा दिया है. जिला स्तर पर प्रति लाख आबादी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता के मामले में सभी राज्यों से बिहार के सबसे खराब प्रदर्शन पर विपक्ष ने नीतीश सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. विपक्ष सूबे के स्वास्थ्य व्यवस्था को फिसड्डी बता कर अक्सर सरकार पर हमलावर रहता है. लेकिन नीति आयोग की रिपोर्ट आने के बाद सरकार पर सवाल उठाने का उन्हें एक और मौका मिल गया है.
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए ट्वीट कर लिखा, ” 16 वर्षों के थकाऊ परिश्रम के बूते बिहार को नीचे से नंबर-1 बनाने पर नीतीश जी को बधाई. 40 में से 39 लोकसभा एमपी और डबल इंजन सरकार का बिहार को अद्भुत फ़ायदा मिल रहा है. नीति आयोग की रिपोर्ट अनुसार देश के जिला अस्पतालों में सबसे कम बेड बिहार में हैं, 1 लाख की आबादी पर मात्र 6 बेड.”
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गुरुवार को जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार जिला अस्पतालों में प्रति लाख आबादी बेड की संख्या के मामले में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सबसे ऊपर है. यहां प्रति लाख आबादी 20 बेड हैं. जबकि पश्चिम बंगाल, राजस्थान और गुजरात में 19, पंजाब, आंध्रप्रदेश और असम में 18, जम्मू कश्मीर में 17, महाराष्ट्र में 14, हरयाणा और उत्तरप्रदेश में 13, तेलंगाना में 10, झारखंड में नौ और बिहार में केवल छह बेड प्रति लाख आबादी उपलब्ध हैं.
मालूम हो कि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) 2012 के दिशानिर्देश के अनुसार जिला अस्पतालों को प्रति 1 लाख आबादी (2001 की जनगणना के जिला जनसंख्या औसत के आधार पर) कम से कम 22 बिस्तर बनाए रखने की सलाह दिया गया है. लेकिन गुरुवार नीति आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार कई राज्य ऐसे हैं जहां मानकों का पालन नहीं किया जा रहा. खासकर बिहार की स्थित बदतर है.