पटना (प्रकाश राज)। बिहार के बेगूसराय का एक छोटा सा गांव बीहट. एक किशोर जब युवा हो रहा था, तो मन में बड़े होकर देश के लिए, समाज के लिए कुछ सकारात्मक करने का विचार चलता था. 12वीं पास की. आईआईटी, कानपुर के होनहार छात्र रहे. पढ़ाई पूरी की तो देश ओर विदेश की दो कंपनियों में इंजीनियर की जॉब ऑफर हुई. लेकिन मन में चल रहा था कि किसी कंपनी की नौकरी कर के समाज के लिए क्या कुछ कर पाएंगे! फिर लग गए सिविल सेवा की तैयारी में. महज 23 वर्ष की उम्र में देश की सर्वोच्च परीक्षा पास की और बन गए आईपीएस.2003 बैच के इस आईपीएस ऑफिसर का नाम है- विकास वैभव. राजधानी पटना समेत बिहार के कई जिलों में एसपी रहे. बाहुबली अनंत सिंंह को गिरफ्तार कर चर्चा में आए. 2017 में डीआईजी (DIG) बने और अब आईजी(IG) में उनका प्रोमोशन हुआ है. फिलहाल विकास वैभव को सरकार ने पुलिस महानिरीक्षक सह समादेष्टा गृह रक्षा वाहिनी और अग्निशमन सेवा पटना के पद पर तैनात किया है।
वैभव के साथ विकास की सोच, लेट्स इंस्पायर बिहार से जुड़े लाखो लोग
आईपीएस विकास वैभव हमेशा चर्चा में रहते है, एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी होने के साथ साथ बिहारियों का वैभव के साथ विकास हो इसको लेकर उन्होंने एक मुहिम चलाया है। विकास वैभव एक मुहिम चला रहे हैं लेट्स इंस्पायर बिहार, वो कहते है की हमें अपनी उर्जा को संर्घष नहीं बल्कि सेवा और सहयोग में लगाने की जरूरत है। हमें आत्म चिंतन कर अपने पूर्वर्जों और धरोहरों के बारे में सोचना चाहिए। जाति-धर्म से उठकर एक दूसरे को सहयोग और जागरूक कर ही हम खुद, समाज और बिहार को आगे बढ़ा सकते हैं। शिक्षा, समता और उद्यमिता के लिए बिहार को जागरूक करना जरूरी है। तभी हमें अपनी शक्ति का एहसास होगा। आईपीएस विकास वैभव के इस मुहिम से देश को अलग अलग हिस्सों में रह रहे बिहारी भी पसंद कर रहे है और जुड़ रहे है।
ब्लॉग पर हैं कई FOLLOWERS
IPS विकास वैभव साइलेंट पेजेस नाम से ब्लॉग चलाते हैं, जिसमें वे कई ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में लिखते हैं। उन्होंने अपने ब्लॉग पर ऐतिहासिक स्थानों की फोटोज डाली हैं। विकास वैभव ऐसे अफसर हैं जिनके नाम पर पश्चिम चंपारण के बगहा में एक चौराहे का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
रोहतासगढ किले से किया नक्सलियों का सफाया , अनंत सिंह तक को कर चुके है अरेस्ट
आईपीएस विकास वैभव की चर्चा तो बिहार में तब भी सबसे ज्यादा होती थी जब बिहार नक्सल के दलदल में था, लेकिन विकास वैभव ने जब बाहुबली विधायक अनंत सिंह को अरेस्ट कर लिया तब से और सुर्खियों में आ गए।
बात साल 2008 की है, बतौर एसपी वह रोहतास जिले में कार्यरत थे, रोहतसगढ किले पर नक्सलियों का कब्जा था और 1980 के बाद वहां किसी ने तिरंगा नही फहराया था। आईपीएस विकास वैभव ने ठान लिया कि रोहतासगढ़ किले को नक्सल मुक्त करेंगे और तिरंगा फहराएंगे, उन्होंने ऑपरेशन विध्वंस चलाया और इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया। नक्सलियों को आखिरकार किला छोड़ भागना पड़ा, आईपीएस की चर्चा तब खूब हो रही थी।
आईएसपी विकास वैभव तक सोशल मीडिया पर छा गए जब उन्होंने छोटे सरकार को गिरफ्तार कर लिया। बात दरअसल 2015 की है। 23 जून को विकास वैभव को पटना एसएसपी का कमान मिलता है और सामने बड़ी जिम्मेदारी अनंत सिंह को गिरफ्तार करने की, अनंत सिंह सरकार के विधायक थे और कानून के क से भी नही डरते थे । 24 जून को विकास वैभव ने बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ अनंत सिंह के घर छापा मारा और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लोगो ने विकास वैभव के हिम्मत की तारीफ की जिन्होंने अनंत सिंह जैसे लोग को अरेस्ट कर लिया।
आईपीएस के नाम पर बगहा में है चौराहा
2007 में जब विकास वैभव बगहा के एसपी बनकर आये थे तब इस इलाके को चम्पारण का चंबल कहा जाता था. यह चौराहा तब सुनसान और अपराधियों का अड्डा बना हुआ था. लोग दिन में भी उधर से गुजरने से डरते थे. उसी इलाके के गजेन्द्र यादव ने, जो पर्यावरण को लेकर खासे सजग थे, उस चौराहे और आसपास के इलाकों में पौधा लगाने का काम शुरू किया. गजेन्द्र यादव ने तत्कालीन एसपी विकास वैभव से मिलकर उस चौराहे की समस्या बताई और कहा कि अपराधियों की वजह से वहां से गुजरना भी मुश्किल हो गया है. अपने कर्तव्य के प्रति सजग एसपी ने तुरंत कार्रवाई करते हुए न सिर्फ उस चौराहे तो अपराधियों से मुक्त कराया बल्कि गजेन्द्र यादव को और पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित भी किया.
यहां 7 लाख पेड़ लग चुके हैं. आज यह इलाका गुलजार है. दुकानें सज गई हैं. पेड़ पौधे बड़े हो गए और इसने एक सुन्दर बाजार का रूप ले लिया है. विकास वैभव की वजह से अब दिन में क्या, देर रात तक दुकानें खुली रहती हैं. यहां बहार भी है और व्यापार भी. गजेन्द्र यादव कहते हैं कि स्थानीय लोगों और गांववालों ने तय किया कि इस चौराहे का नाम विकास वैभव चौराहा रख दिया जाए, ताकि आने वाले अधिकारी भी इससे प्रेरणा ले सकें और 2017 से ये चौराहा विकास वैभव चौराहा के नाम से जाने जाना लगा।