बेगूसराय-बलिया, कृष्णनंदन सिंह: कोरोना महामारी का रूप ले चुका है। जिसे देखते हुए इस महामारी की रोकथाम को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा 52 दिन पूर्व से पूरे देश में लॉक डाउन का आदेश जारी किया गया है। जिस कारण रेल एवं सड़क मार्ग पर वाहनों का परिचालन पूरी तरह ठप रहने से देश के अन्य राज्यों में लाखों मजदूर फंसे हुए हैं। जिन्हें लाने के लिए सरकार के द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेन एवं बस चलाकर उनके उनके राज्यों तक पहुंचाया जा रहा है। बावजूद अन्य प्रदेशों में मजदूरी करने गए लोगों को रोजगार नहीं मिलने से हजारों मजदूर टोली बना बना कर पैदल एवं निजी वाहन से अपने अपने क्षेत्र पहुंच रहे हैं। हालांकि सरकारी स्तर से भी अन्य प्रदेशों में फंसे मजदूरों को सरकार द्वारा रेल एवं बस के माध्यम से मंगाए जा रहे हैं। वही घर आने वाले मजदूरों को प्रखंड स्तर पर खोले गए कोरेंटिन सेंटर में रखा जा रहा है। लेकिन इन सेंटरों पर रह रहे मजदूरों में जागरूकता का अभाव रहने के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। साथ ही इन सेंटरों पर सुरक्षा के मापदंडों का भी घोर अनदेखी की जा रही है। सदानंदपुर गांव के कुछ लोगों का कहना है कि कोरेंटिन सेंटर में रह रहे मजदूरों को बाहर निकलने की खुली छूट मिली हुई है।
वहीं कोरेंटिन सेंटर में रह रहे मजदूरों को परिजनों के द्वारा भोजन एवं कापरे पहुंचाने पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। ज्ञात हो कि बलिया के चार कोरेंटिन सेंटर जिसमें पी डी एस के कॉलेज सदानंदपुर, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सदानंदपुर, मध्य विद्यालय भगतपुर, एसएएस उच्च विद्यालय बलिया के कोरेंटिन सेंटर में 328 प्रवासी मजदूर रह रहे हैं। वही प्रत्येक दिन सैकड़ों मजदूर का आना जारी है। क्वॉरेंटाइन सेंटर पर क्वॉरेंटाइन किए गए मजदूरों को भोजन पहुंचा रहे उनके परिजनों ने बताया कि क्वॉरेंटाइन सेंटर पर किसी प्रकार की समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसके कारण हम लोगों को घर से भोजन कपड़ा धुलाई कर पहुंचाना पड़ रहा है।उच्च माध्यमिक विद्यालय सदानंदपुर में कोरेंटिन किए गए मजदूरों के संबंध में स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यहां की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होने के कारण कई मजदूर दिन में भी निकल कर गांव के दुकानों में गुटखा एवं सिगरेट के लिए भटकते रहते हैं। जिससे गांव में रह रहे लोगों में भी दहशत का माहौल है। लोगों ने स्थानीय प्रशासन से कोरेंटिन किए गए मजदूरों की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध करने की मांग की है।
जबकि जिला प्रशासन द्वारा कई दिन पूर्व क्वॉरेंटाइन सेंटर की व्यवस्था को लेकर चापाकल एवं शौचालय की व्यवस्था करने का आदेश जारी किया गया था। क्वेंटिन सेंटर में चापाकल की व्यवस्था तो कर दी गई है। जबकि शौचालय एवं बाथरूम की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण एक ही शौचालय एवं चापाकल का उपयोग करने को मजबूर हैं। जिससे क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे एक भी मजदूर संक्रमित पाया जाता है तो इसका खतरा अन्य मजदूरों पर भी परने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।