अमरदीप नारायण प्रसाद
समस्तीपुर : निजी खर्च पर ईलाज कराना पड़ता है पोजिटिव हुए आशा को- तरन्नुम फैजी
समस्तीपुर के मोरदीबा स्थित कोविद पेशेंट भर्ती केंद्र में रोगी की सेवा में रातदिन लगी स्थानीय विशनपुर निवासी आशा कार्यकर्ता संगीता संगम जब खुद पोजिटिव हो गई तो उसे खुद का ईलाज के लिए दर- दर की ठोकर खानी पड़ी. बतौर संगीता उनके पोजिटिव होने की खबर सुनने के बाद सहकर्मी एवं अधिकारी उनकी सुधी लेना तो दूर आवश्यक दवा लेने गये उनके बेटे को चाभी नहीं होने का बहाना बनाकर लौटा दिया गया. किसी तरह वे निजी अस्पताल में अपना ईलाज करा रही हैं. ये सिर्फ एक आशा की नहीं बल्कि दर्जनों आशा की कहानी है.
इस संबंध में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोपगुट) के जिलाध्यक्ष तरन्नुम फैजी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग में सबसे नीचले पायदान पर आशा कार्य कर रही है. बाबजूद इसके स्वास्थ्य विभाग में आशा कर्मी को दोयम दर्जे का स्वास्थ्य कर्मी समझा जाता है. हरेक जगह आशा का शोषण किया जाता है. कोविड रोगी के सेवार्थ आशा से काम लिया जाता है लेकिन उनकी सुरक्षा का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा जाता है. आशा के लिए पीपीई किट, मास्क, ग्लोब्स, फेस शिल्ड समेत आवश्यक सामग्री तक उपलब्ध नहीं कराया जाता है और जब वे पोजिटिव हो जाती हैं तो उन्हें मरने के छोड़ दिया जाता है. जब आवश्यक सामग्री आपूर्ति नहीं होने के एवज में वे काम से इनकार करती हैं तो बीसीएम एवं प्रभारी आदि आशा को मौखिक धमकी के साथ लिखित सो कौज थमा देते हैं. यह अन्याय की पराकाष्ठा है. आशा संघ इसका विरोध करेगी.
इस आशय की जानकारी देते हुए महिला संगठन ऐपवा के जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा कि जिस आशा के बदौलत स्वास्थ्य विभाग में कुछ ईलाज समेत आवश्यक कार्य हो रहे हैं उस आशा की अनदेखी बर्दाश्त करने लायक नहीं है. उन्होंने कोविड कार्य में लगे आशा कार्यकर्ता को पीपीई किट, मास्क, ग्लोब्स, फेस शिल्ड, काम का दोगुना राशि, पोजिटिव होने पर सरकारी खर्चे पर संपूर्ण ईलाज, 50 लाख का वीमा, नियमित मानदेय आदि देने की मांग की है.
ऐपवा जिलाध्यक्ष ने इस संबंध में एक लिखित रिपोर्ट आशा संघ के राज्य अध्यक्ष शशि यादव को पटना भेजकर संबंधित फोरम में मामले को उठाकर समाधान कराने की मांग भी की है.