पटना. बिहार में कोरोना के मरीज का शव जलाने का विरोध करना कुछ लोगों को खासा महंगा पड़ा है. कोविड-19 संक्रमित मृत व्यक्ति का शव जलाने का विरोध प्रदर्शन करने के दौरान सरकारी आदेश के बिना जुलूस निकालने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने के आरोप में छ: व्यक्तियों को नामजद एवं 20 अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध बुद्धा कॉलोनी थाना में प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है. दरअसल दो दिनों पहले एक कोरोना मरीज की मौत के बाद पटना के बांस घाट शवदाह गृह में शव जलाने को लेकर जमकर बवाल हुआ था.
स्थानीय लोगों ने न सिर्फ शव को जलाने का विरोध किया था बल्कि सड़कों पर जुलूस भी निकाला था जिससे मरीज के परिजनों में काफी दहशत बना रहा. स्थानीय लोगों ने यही कहकर विरोध किया था कि कोरोना मरीज का यहाँ शव जलाए जाने के बाद आसपास में संक्रमण बढ़ेगा. मामले की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी ने मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश दिया और तब जाकर गौरकानूनी तरीके से प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया गया.
जांच में ये पता चला कि इसके लिए ना तो सरकारी अनुमति ली गई और ना ही सुरक्षा मानकों के तहत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया. बांस घाट पर प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी द्वारा जुलूस निकालने को लेकर वैध कागजातों की भी मांग की गई लेकिन उपलब्ध नहीं कराया गया. इसी आरोप में छह लोगों आलोक राज, सुभाष यादव, अवधेश कुमार, मल्लू गोप, रामजी नेता, नवल किशोर गुप्ता सहित 15-20 अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध बुद्धा कॉलोनी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है. उक्त सभी व्यक्तियों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 145, 188, 269, 270 तथा एपेडमिक डिजीज एक्ट 1897 के तहत कार्रवाई की गई