पटना। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत की अध्यक्षता में शनिवार को बिहार-झारखंड प्रांत की दो दिवसीय बैठक शुरू हुई। केशवपुरम, बाइपास स्थित सरस्वती विद्या मंदिर परिसर में पहले दिन हुई बैठक में कोरोना काल के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा चलाए गए सेवा कार्यों की समीक्षा हुई। बिहार-झारखंड क्षेत्र के शीर्ष 40 कार्यकर्ताओं ने बैठक में विस्तार से संघ मुख्यालय के निर्देशों से संबंधित अनुपालन जानकारी दी। संघ के कुंटुब परिवार के संचालित गतिविधियों से भी अवगत कराया। प्रांत संघचालक, कार्यवाह और प्रचारकों ने संघ प्रमुख को लॉकडाउन के बावजूद गरीब परिवारों के बीच चलाए गए सेवाकार्यो और अन्य गतिविधियों के बारे में बताया।
भागवत ने स्वदेशी और समसामयिक विषयों पर मंथन किया। कोरोना से प्रभावित जन जीवन, शिक्षा स्वास्थ्य, स्वावलंबन और कार्यक्रमों से अवगत हुए। बताया कि कहां-कहां प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन एवं मेडिकल कैंप की व्यवस्था की गई थी। श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए स्वयंसेवकों ने भी वाहन की व्यवस्था की। इस दौरान प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ व्यक्तिगत संवाद भी किया। स्वयंसेवकों से कोरोना काल में किए गए सेवा कार्यों, शिक्षा और स्वरोजगार और स्वावलंबन के कार्यों पर चर्चा की। भागवत ने कहा कि जितना बड़ा सेवा कार्य कोरोनाकाल में हुआ है उसका अनुकरण प्रत्येक खंड स्तर पर किया जाए। संघ के कार्य पर समाज का विश्वास निरंतर बढ़ रहा है।
तकनीक पर जोर
लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के बीच कैसे तकनीकी के इस्तेमाल से स्वयंसेवकों ने सेवा कार्यों को अमलीजामा पहना, संघ की गतिविधियां कैसे संचालित हुई जैसे विषयों की जानकारी ली। संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी, सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, सह सरकार्यवाह दत्तात्रय होसबले, सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य, सह सरकार्यवाह मुकुंद सीआर, क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, प्रांत प्रचारक राणा प्रताप और क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर, सह क्षेत्र प्रचारक रामनवमी व अन्य शीर्ष स्वयंसेवक अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की क्षेत्र स्तर की बैठक में शामिल हो रहे हैं। संघ दक्षिण बिहार प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश पांडेय ने बताया कि कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए बैठक में बिहार व झारखंड के संघ से जुड़े शीर्ष 40 कार्यकर्ताओं को ही बुलाया गया है।