मोतिहारी :
अपने स्थापनाकाल से हमेशा किसी न किसी विवादों में रहे महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के वर्तमान कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा का कार्यकाल पूरा होने को है। ऐसे में अब इस केंद्रीय विश्वविद्यालय को किसी कर्मयोगी कुलपति की तलाश है जिसके नेतृत्व में विश्वविद्यालय को एक बेहतर अकादमिक माहौल प्राप्त हो सके।इसके पूर्व विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रोफेसर अरिवंद अग्रवाल का कार्यकाल खूब विवादों में रहा जिसके कारण उन्हे लम्बी छुट्टी पर भेजी गई बाद में प्रोफेसर अग्रवाल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा के कार्यकाल मे भी कुलपति बनने के मानक आदि को लेकर भी खूब किडकीड़ी हुई जिसके बाद मामले की जांच अभी चल रही है। ऐसे में खबर है कि राष्ट्रपति भवन ने अब इस नवस्थापित विश्वविद्यालय के तीसरे कुलपति के नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
हालांकि अभी कुलपति के नाम का एलान नही हुआ है परंतु सोशल मीडिया पर एक नाम तेजी से उछल रहा है जिसका विरोध महात्मा गांधी केन्दीय विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों के साथ साथ स्थानीय लोग भी सोशल मीडिया के माध्यम से कर रहे हैं।
सूत्रों की माने तो जीबी पन्त विश्वविद्यालय, प्रयागराज के प्राध्यापक प्रोफेसर बद्रीनारायण महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति बनने की रेस में हैं। लेकिन यह नाम इसी विश्वविद्यालय के छात्रों और स्थानीय लोगो को रास नही रहा है जिनकी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर खूब देखी जा रही है। इन सभी विरोध का कारण प्रोफेसर बद्रीनायरण की पुस्तक ‘हिंदुत्व की मोहिनी मन्त्र’ है जिसमे प्रोफेसर ने हिन्दू धर्म के प्रति आपत्तिजनक शब्द लिखे हैं।
विरोध कर रहे छात्रों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि पुस्तक में बार बार हिंदुत्ववादी शक्तियां कह कहकर हिंदुत्व को हिंदू धर्म से अलग दिखाने का प्रयास किया गया है और हमसब के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाया गया है।
राष्ट्रीय जनता दल के तिरहुत प्रमंडल अध्यक्ष राहुल केदार सिंह अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि अब मोतिहारी सेंट्रल यूनिवर्सिटी का सृजनात्मक सिंचन बेहद जरूरी है , पिछले कुलपतियों के विवादित कार्यकाल का नुकसान छात्रों को झेलना पड़ा अब आगे भी विवादित कुलपति आये तो ये सहनीय नही होगा। प्रोफेसर बद्रीनायरण को निशाना करते हुए भी राहुल केदार सिंह लिखते हैं कि सनातन धर्म के प्रति हमसब की आस्था है इसके खिलाफ लोग अनाब सनाब बोलकर संघ के गोद मे बैठकर गंगा नहा लेते हैं हमारे यहां ऐसा नही होगा अब हमारे शहर के विश्वविद्यालय को एक निर्विवाद शिक्षाविद की जरूरत है।
वही जिले में लंबे समय से सक्रिय चम्पारण छात्र संघ के संयोजक विकाश जी ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि पिछले कुलपतियों के कार्यकाल ने इस विश्वविद्यालय का खूब छीछालेदर कराया है ऐसे में फिर से किसी विवादित व्यक्तित्व को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति का दायित्व नही मिलना चाहिए।
वही शहर के शिक्षक कुमार निखिल विवेक लिखते हैं कि MGCUB मोतिहारी के आमजनमानस के लंबे संघर्षो का प्रतिफल है। तीसरे कुलपति के रूप में दांतेवाड़ा के नक्सलियों पर शोध करने वाला उसी की मानसिकता के प्रोफेसर टीपी सिंह और हिन्दुत्व को गुंडागर्दी जैसे शब्दों से जोड़कर हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले प्रोफेसर बद्रीनायरण से कुलपति के रूप में एक उत्कृष्ट अकादमिक माहौल की क्या ही कल्पना की जा सकती है। विश्वविद्यालय को किसी बड़े ऊर्जावान नेतृत्व क्षमता से लबरेज खुले विचारों का निर्विवाद कुलपति चाहिए। वही शहर के शिक्षक कुमार निखिल विवेक लिखते हैं कि MGCUB मोतिहारी के आमजनमानस के लंबे संघर्षो का प्रतिफल है। तीसरे कुलपति के रूप में दांतेवाड़ा के नक्सलियों पर शोध करने वाला उसी की मानसिकता के प्रोफेसर टीपी सिंह और हिन्दुत्व को गुंडागर्दी जैसे शब्दों से जोड़कर हमारी धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले प्रोफेसर बद्रीनायरण से एक उत्कृष्ट अकादमिक माहौल की क्या ही कल्पना की जा सकती है। विश्वविद्यालय को किसी बड़े ऊर्जावान नेतृत्वक चाहिए जो किसी खास विचारधारा का गुलाम न हो।
ऐसे ही दर्जनों फेसबुक पोस्ट के माध्यम से प्रोफेसर बद्रीनायरण और प्रोफेसर तेजप्रताप सिंह छात्रों के निशाने पर हैं। चम्पारण छात्र संघ के महासचिव अरुण कुमार ने हमसे बात करते हुए कहा कि हमलोग इन दोनों के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं जल्द ही हम राष्ट्रपति महोदय को पत्र लिखकर इनके कुकृत्यों की जानकारी देंगे और किसी भी हाल में ऐसे विवादित चेहरों को महात्मा गांधी की कर्मभूमि स्वीकार नही करेगी।
धीरे धीरे सोशल मीडिया से यह मुहिम जमीनी स्तर पर आंदोलन का रूप धारण कर रही है। केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र लालसाहब और मुकुन्द ने हमसे बात करते हुए कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना काल से ही बहोत उथल पुथल देखा है हम अब और विवादित चेहरों को कुलपति के रूप में देखना पसन्द नही करेंगे इससे हम छात्रों का बहोत नुकसान होता है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि यह आन्दोलन आगे कितना प्रभावी होता है और कुलपति की नियुक्ति के बाद छात्र और जिले के बुध्दिजीवी अपने आप को कितने सन्तुष्ट महसूस करते हैं। हालांकि टुडे ग्रुप ऑफ मीडिया नए कुलपति के लिए बद्रीनायरण के नाम की पुष्टि नही करता है।