PATNA : सीएम नीतीश का दलित कार्ड बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए पर भारी भी पड़ सकता है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसको लेकर सरकार की घेराबंदी शुरू कर दी है। पटना आरजेडी ऑफिस में शनिवार को तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए दलित परिवार में हत्या के बाद एक सदस्य को सरकारी नौकरी की घोषणा को गलत ठहराया।
तेजस्वी ने कहा कि इससे हत्या की प्रवृत्ति बढ़ेगी। तेजस्वी इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने कहा कि सवर्ण समाज के किसी की हत्या होती है तो उनके परिवार को कौन देखेगा? सरकार की यह नीति दलित भाइयों की हत्या को बढ़ाने का काम करेगी। दरअसल, लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान की नाराजगी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों और महादलितों को लुभाने के लिए दलित कार्ड खेला है।
सीएम ने घोषणा की है कि एसटी-एससी की हत्या हुई तो परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिलेगी। नीतीश कुमार ने अपने अधिकारियों को यह आदेश दिया है कि वह ऐसा नियम बनाएं जिससे बिहार में एसटी-एससी की हत्या होने पर उनके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जा सके।
नीतीश ने दलित कार्ड खेलकर 16 प्रतिशत मतदाता को एक झटके में अपनी तरफ करने की कोशिश तो की है, लेकिन विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का यह दांव उलटा भी पड़ सकता है। एक ओर तेजस्वी ने यह कहकर कि सवर्ण की हत्या होती है तो वे कहां जाएंगे? और नीतीश कुमार की इस घोषणा से दलित भाइयों की हत्या को बढ़ावा मिलेगा, एक नई बहस छेड़ दी है। सवर्ण समुदाय के लोग भी इसको लेकर सोचने पर मजबूर हैं।
दरअसल, एनडीए की एक प्रमुख घटक लोजपा नाराज चल रही है। ऐसे में जीतनराम मांझी को एनडीए में शामिल करके चिराग की भरपाई की कोशिश की गई है। नीतीश को डिफेंड करने जीतनराम मांझी सामने आ चुके हैं। अब नीतीश कुमार ने चुनाव के वक्त दलित कार्ड खेलकर 16 प्रतिशत मतदाता को एक झटके में अपनी तरफ करने की कोशिश की है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को सीएम नीतीश कुमार ने अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत सर्तकता और मानिटरिंग समिति की बैठक की। इस बैठक के बाद सीएम ने अधिकारियों को आदेश दिया कि एससी-एसटी परिवार के किसी सदस्य की हत्या होती है तो वैसी स्थिति में पीड़ित परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के प्रवाधान के लिए तत्काल नियम बनाएं।
चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया 29 नवंबर से पहले पूरी कर ली जाएगी। यही वजह है कि बिहार चुनाव में सभी राजनीतिक दलों द्वारा दलितों को रिझाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में नीतीश ने एक बड़ा दलित कार्ड खेला है, लेकिन अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इसकी सच्चाई जनता के सामने रखकर सरकार को घेरने में जुट गए हैं।
तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और पलायन को लेकर केंद्र सरकार और बिहार सरकार पर हमला बोला। तेजस्वी ने कहा कि बिहार देश में बेरोजगारी का केंद्र बन गया है। लॉकडान की वजह से स्थिति भयावह हुई है। जनता ने उन्हे 15 साल दिया, फिर भी बेरोजगारी-गरीबी और पलायन नहीं रोक सकें।
नियोजित शिक्षकों पर भी तेजस्वी ने सरकार को आ़ड़े हाथ लिया औश्र कहा कि बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों को झुनझुना थमा दिया है। तेजस्वी यादव ने काह कि हमारी सरकार बनी तो सभी को रोजगार की गारंटी देने की कोशिश होगी। बेरोजगारी हटाने के लिए वेबसाइट की शुरूआत तेजस्वी ने की।
बेरोजगारों को रोजगार के लिए हेल्पलाइन भी शुरू किया गया है। तजस्वी ने कहा कि बिहार में चार लाख से ज्यादा पद खाली है। सरकार लोगों को नौकरी देना नहीं चाह रही है। तेजस्वी ने कहा कि हमारी सरकार बनी तो सभी को रोजगार की गारंटी दी जाएगी।