BIHAR: गोपालगंज शराब कांड में स्पेशल कोर्ट ने 13 में से नौ दोषियों को फांसी और 4 महिलाओं को उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक्साइज एक्ट के तहत गठित स्पेशल कोर्ट के जज एडीजे-2 लवकुश कुमार ने सभी दोषियों पर 10 लाख-लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। गोपालगंज के खुजरबानी में जहरीली शराब पीने से 16 अगस्त 2016 में 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी। बिहार में शराबबंदी 5 अप्रैल 2016 को लागू हुई थी।
फैसला आने के बाद दोषियों के परिवार वाले अदालत परिसर में रोने लगे। कुछ लोगों ने हंगामा करने की कोशिश भी की। दोषियों के वकीलों का कहना है कि वे इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। पांच साल तक चले मुकदमे के बाद इस मामले में 26 फरवरी को 14 में से 13 लोगों को दोषी ठहरा दिया गया था। आज उन्हें सजा सुनाई गई। हालांकि, इस कांड का मास्टरमाणंड रुपेश शुक्ला उर्फ पंडित अभी फरार है। कोर्ट ने उसके खिलाफ रेड वॉरंट जारी कर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया है।
खजुरबानी शराब कांड की कहानी
अगस्त 2016 में खजुरबानी जहरीली शराब कांड में 19 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि छह लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इस घटना के बाद 16 और 17 अगस्त 2016 को गोपालगंज नगर थाना के वॉर्ड नंबर 25 खजुरबानी में पुलिस ने भारी मात्रा में जहरीली शराब बरामद की थी। इसमें 14 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था, लेकिन एक अभियुक्त ग्रहण पासी की मौत हो जाने के कारण 13 अभियुक्तों के विरुद्ध ट्रायल चल रहा था। मामले में पांच साल तक कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं। 26 फरवरी को कोर्ट ने 13 अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए सजा के लिए पांच मार्च का दिन मुकर्रर किया था।
जहरीली शराब से बर्बाद हो गए कई परिवार
अगस्त 2016 में हुई इस घटना के बाद कई परिवार बर्बाद हो गए। जिन परिवारों ने अपनों को खोया उनके लिए आगे का जीवन काफी कठिन हो गया। सरकार ने तब मारे गए लोगों के परिवारीजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया था। कुछ परिवारों ने यह राशि बैंक में फिक्स कर दी, जिससे मिलने वाले मामूली ब्याज से उनका घर चलता है। लेकिन ब्याज की यह राशि इतनी कम है कि बुनियादी जरूरतें भी पूरा करना मुश्किल होता है।
बर्खास्त हो गया था पूरा थाना
गोपालगंज में नगर थाना से सटे खजुरबानी कांड के बाद नगर थाना के सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था। बाद में बिहार सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। हालांकि पुलिसकर्मियों के बर्खास्तगी आदेश को चार फरवरी 2021 को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है।
पांच साल चला मुकदमा
बड़े पैमाने पर शराब बरामदगी के बाद नगर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष बीपी आलोक के बयान पर इसी थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी। इसमें खजुरबानी वॉर्ड नंबर 25 निवासी छठू पासी, कन्हैया पासी, लालबाबू पासी, राजेश पासी, लालझरी देवी, कैलाशो देवी, नगीना पासी, सनोज पासी, रीता देवी, संजय चौधरी, रंजय चौधरी, मुन्ना चौधरी, इंदु देवी तथा ग्रहण पासी को नामजद आरोपित बनाया गया था। पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल किए जाने के बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई।
सुनवाई के दौरान ही एक आरोपित ग्रहण पासी की मौत हो गई। पांच साल चली सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूतों के आधार पर विशेष न्यायालय उत्पाद ने 26 फरवरी को 13 आरोपितों को दोषी करार दिया था। इस मामले में सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक उत्पाद रविभूषण श्रीवास्तव तथा बचाव पक्ष से वेद प्रकाश तिवारी, विनय तिवारी तथा रामनाथ साहू ने कोर्ट में बहस की। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल सात गवाहों को पेश किया था।
शराबबंदी में इस कांड से मच गई थी सनसनी
बिहार में शराबबंदी के बाद गोपालगंज के खजुरबानी मोहल्ले में इस बड़े कांड से पूरे प्रदेश में सनसनी फैल गई थी। मिली जानकारी के अनुसार 15 अगस्त की रात जहरीली शराब पीने के बाद अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी। 16 अगस्त की सुबह तक कई लोगों की मौत हो गई। शाम होते-होते कुल 19 मौतें हो गई थीं। घटना में करीब आधा दर्जन लोगों ने अपनी आंखों की रोशनी गंवा दी थी। जहरीली शराब कांड पर हंगामा मचने के बाद जागी पुलिस ने 16 और 17 अगस्त 2016 को छापामारी कर बड़ी मात्रा में शराब बरामद की। पुलिस की कार्रवाई से इस बात की पुष्टि हुई कि इसी मोहल्ले में शराब पीने से लोगों की मौत हुई। नगर थाने में पुलिस ने 14 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।